बस्तर दशहरा 2024: छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा त्यौहार और दुनिया का सबसे लंबा चलने वाला दशहरा

बस्तर दशहरा 2024: छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा त्यौहार और दुनिया का सबसे लंबा चलने वाला दशहरा

Bastar Dussehra Rath Yatra

परिचय (Introduction)

बस्तर दशहरा छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र का सबसे प्रमुख और विशेष त्यौहार है, जिसकी जड़ें सदियों पुरानी आदिवासी परंपराओं और धार्मिक आस्थाओं में निहित हैं। यह त्यौहार नवरात्रि के समय मनाया जाता है, लेकिन इसकी खासियत यह है कि यह देवी दुर्गा की पूजा से नहीं, बल्कि स्थानीय देवी "माई दंतेश्वरी" की आराधना से जुड़ा होता है। लगभग 75 दिनों तक चलने वाला यह त्यौहार न केवल छत्तीसगढ़ में बल्कि पूरे भारत में सबसे लंबे समय तक चलने वाले त्यौहारों में से एक है।

बस्तर दशहरा की सबसे बड़ी विशेषता इसका आदिवासी संस्कृति से गहरा संबंध है। इस दौरान बस्तर के विभिन्न आदिवासी समुदाय एक साथ आकर अपनी प्राचीन परंपराओं, गीत-संगीत, नृत्य और अनुष्ठानों का प्रदर्शन करते हैं। रथ यात्रा इस त्यौहार का प्रमुख आकर्षण है, जिसमें विशाल लकड़ी का रथ स्थानीय पुजारियों और श्रद्धालुओं द्वारा खींचा जाता है। इस यात्रा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व होता है, जिसे देवी के सम्मान में निकाला जाता है।

बस्तर दशहरा न केवल आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि यह क्षेत्र के सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का भी उदाहरण है। यह त्यौहार सभी जातियों और समुदायों को एक मंच पर लाकर उनकी परंपराओं और विश्वासों का जश्न मनाता है। इस अद्वितीय उत्सव में प्रकृति, देवत्व और मानवता का गहन संगम देखने को मिलता है, जो इसे वास्तव में खास बनाता है।

 बस्तर दशहरा का इतिहास (History of Bastar Dussehra)

बस्तर दशहरा भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर क्षेत्र में मनाया जाने वाला एक अद्वितीय और प्राचीन पर्व है, जिसका इतिहास सैकड़ों साल पुराना है। यह उत्सव देवी दंतेश्वरी की पूजा और आदिवासी परंपराओं से जुड़ा हुआ है। बस्तर दशहरा को राजा पुरूषोत्तम देव ने 15वीं सदी में शुरू किया था, जब उन्होंने अपनी कुल देवी दंतेश्वरी को समर्पित इस पर्व को राजकीय रूप से मनाने की परंपरा डाली। यह उत्सव नवरात्रि के दौरान दस दिनों तक चलता है, लेकिन इसकी शुरुआत श्रावण मास में पाट जात्रा नामक अनुष्ठान से होती है, जो दशहरा समाप्ति तक लगभग 75 दिनों तक चलता है। बस्तर दशहरा की खासियत यह है कि इसमें शक्ति की देवी की पूजा के साथ-साथ आदिवासी रीति-रिवाजों और सांस्कृतिक धरोहर का अनूठा समावेश होता है। विभिन्न जनजातियाँ इस महोत्सव में अपनी मान्यताओं और परंपराओं का पालन करती हैं, जिसमें रथ यात्रा, मावली देवी की पूजा, और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल होते हैं।

 बस्तर दशहरा क्यों प्रसिद्ध है?बस्तर दशहरा के प्रमुख आकर्षण (Main Attractions of Bastar Dussehra)

बस्तर दशहरा अपनी सांस्कृतिक विविधता और अनोखी परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है, जो इसे देशभर के अन्य दशहरा पर्वों से अलग बनाता है। इसके प्रमुख आकर्षणों में सबसे महत्वपूर्ण है रथ यात्रा, जिसमें विशालकाय रथ को खींचने के लिए हजारों लोग इकट्ठा होते हैं। इस रथ को खींचने की जिम्मेदारी विशेष रूप से आदिवासी समुदाय के सदस्यों द्वारा निभाई जाती है, जो इसे अपनी सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक आस्था का प्रतीक मानते हैं।

काछिन गादी भी एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जिसमें देवी दंतेश्वरी को आमंत्रित किया जाता है ताकि वह बस्तर के शाही परिवार की रक्षा और आशीर्वाद दें। इस दौरान पारंपरिक संगीत और नृत्य का आयोजन होता है, जो स्थानीय जनजातीय संस्कृति का अनूठा प्रदर्शन करता है।

इसके अलावा, मावली परघाव अनुष्ठान बेहद आकर्षक होता है, जहां विभिन्न ग्रामों से मावली देवी की मूर्तियों को लाया जाता है और उनका स्वागत बड़ी धूमधाम से किया जाता है। यह अनुष्ठान आदिवासी मान्यताओं और देवी पूजा की महत्वपूर्ण झलक प्रस्तुत करता है।

जोगी बिठाई एक और विशेष अनुष्ठान है, जिसमें एक साधु (जोगी) को पूरे उत्सव के दौरान एक विशेष स्थान पर बैठाकर उपवास कराया जाता है। इसे क्षेत्र के भविष्य के कल्याण से जोड़ा जाता है और इसका धार्मिक महत्त्व अत्यधिक है।

बस्तर दशहरा का हर अनुष्ठान और समारोह जनजातीय परंपराओं, देवी-पूजा और सांस्कृतिक धरोहर से गहराई से जुड़ा है, जो इसे एक अनूठा और समृद्ध त्योहार बनाता है।

बस्तर दशहरा 2024 की तारीखें और आयोजन (Dates and Events of Bastar Dussehra 2024)

बस्तर दशहरा 2024 की शुरुआत 26 अगस्त से होगी और इसका समापन 8 नवंबर 2024 को होगा। यह पर्व भारत के सबसे लंबे चलने वाले उत्सवों में से एक है, जो कुल 75 दिनों तक चलता है। बस्तर दशहरा केवल धार्मिक अनुष्ठानों का उत्सव नहीं, बल्कि यह बस्तर की जनजातीय संस्कृति, आस्था और परंपराओं का जीवंत प्रतीक है।

प्रमुख आयोजन और तारीखें:

  1. पाट जात्रा (26 अगस्त 2024): बस्तर दशहरा का शुभारंभ पाट जात्रा से होता है, जिसमें पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ बस्तर की प्रमुख देवी दंतेश्वरी के लिए लकड़ी का प्रतीकात्मक रथ तैयार किया जाता है।

  2. काछिन गादी (अक्टूबर 2024): इस अनुष्ठान में राजा को प्रतीकात्मक रूप से देवी दंतेश्वरी की गद्दी पर बिठाया जाता है, जो शक्ति और आशीर्वाद का प्रतीक है।

  3. मावली परघाव (अक्टूबर 2024): इस विशेष अनुष्ठान में देवी मावली की मूर्तियों को विभिन्न गांवों से लाकर, दंतेवाड़ा में एकत्रित किया जाता है। यह आयोजन जनजातीय परंपराओं और एकजुटता का उत्सव होता है।

  4. रथ यात्रा (नवंबर 2024): रथ यात्रा बस्तर दशहरा का मुख्य आकर्षण है, जिसमें विशाल रथ को हजारों श्रद्धालु खींचते हैं। यह आयोजन बस्तर की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाता है।

  5. जोगी बिठाई (अक्टूबर-नवंबर 2024): इस अनुष्ठान में एक साधु को पूरे पर्व के दौरान ध्यान और तपस्या में बैठाया जाता है, जिससे बस्तर की खुशहाली और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।

बस्तर दशहरा 2024 के दौरान ये आयोजन बस्तर की सांस्कृतिक विविधता और धार्मिक आस्था का अद्वितीय संगम प्रस्तुत करते हैं। यह पर्व न केवल स्थानीय जनजातीय समाज के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बना रहता है।

बस्तर दशहरा और जनजातीय संस्कृति

बस्तर दशहरा केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह बस्तर की जनजातीय संस्कृति का जीवंत प्रतीक है। इस पर्व का आयोजन देवी दंतेश्वरी की पूजा से जुड़ा है, जो स्थानीय जनजातियों की कुलदेवी मानी जाती हैं। बस्तर दशहरा की सबसे खास बात यह है कि इसमें रावण दहन की कोई परंपरा नहीं है, बल्कि यह पर्व शक्ति की देवी और जनजातीय समाज के सांस्कृतिक मूल्यों को समर्पित होता है।

बस्तर क्षेत्र की विभिन्न जनजातियाँ, जैसे मुरिया, मारिया, और हलबा, इस महोत्सव में उत्साह से भाग लेती हैं और अपने पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन करती हैं। रथ यात्रा, मावली पूजा, और जोगी बिठाई जैसे अनुष्ठान जनजातीय मान्यताओं और देवी की आराधना के प्रति उनकी आस्था को दर्शाते हैं। खासकर रथ यात्रा के दौरान हजारों लोग मिलकर विशाल रथ को खींचते हैं, जो एकता और सहयोग का प्रतीक है।

यह पर्व बस्तर की जनजातीय संस्कृति का जश्न है, जहाँ पारंपरिक नृत्य, संगीत, और वेशभूषा से समृद्ध जनजीवन को नजदीक से देखा जा सकता है। बस्तर दशहरा जनजातीय समाज की मान्यताओं, लोककथाओं और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने का माध्यम है, जो इसे भारत के सबसे अनोखे और महत्वपूर्ण उत्सवों में से एक बनाता है।

निष्कर्ष

बस्तर दशहरा न केवल छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा त्यौहार है, बल्कि यह धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक धरोहर का प्रतीक भी है। देवी दंतेश्वरी की आराधना से लेकर जनजातीय परंपराओं के जीवंत प्रदर्शन तक, यह पर्व बस्तर की अद्वितीय पहचान को प्रकट करता है। बस्तर दशहरा में हर अनुष्ठान, जैसे रथ यात्रा, मावली पूजा, और जोगी बिठाई, इस क्षेत्र की आस्था, एकता, और सांस्कृतिक विविधता का संदेश देता है।

धार्मिक दृष्टिकोण से यह पर्व शक्ति की देवी को समर्पित है, जबकि सामाजिक दृष्टिकोण से यह जनजातीय समाज की एकता, सहयोग, और परंपराओं का उत्सव है। सांस्कृतिक महत्त्व के साथ-साथ, बस्तर दशहरा उन आदिवासी समुदायों की धरोहर को सहेजने का कार्य भी करता है, जो सदियों से इस परंपरा को आगे बढ़ाते आ रहे हैं।

इस उत्सव में भाग लेना एक अद्वितीय अनुभव है, जो न केवल देवी दंतेश्वरी की पूजा का अवसर प्रदान करता है, बल्कि बस्तर की जनजातीय संस्कृति की गहराइयों को समझने का भी मौका देता है। इसके माध्यम से आप प्राचीन रीति-रिवाजों और जीवनशैली का सीधा अनुभव कर सकते हैं, जो आज के आधुनिक समाज से बहुत अलग हैं। रथ यात्रा के दौरान हजारों लोगों के साथ मिलकर विशाल रथ खींचना, जनजातीय नृत्य और संगीत का आनंद लेना, और बस्तर के प्राकृतिक सौंदर्य को करीब से देखना हर किसी के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव हो सकता है।

पर्यटकों और भक्तों के लिए यह त्यौहार एक अद्वितीय अवसर है। चाहे आप धार्मिक आस्था के कारण आए हों या सांस्कृतिक जिज्ञासा के साथ, बस्तर दशहरा आपको छत्तीसगढ़ की समृद्ध परंपराओं और अनोखी संस्कृति के करीब ले आएगा। यह पर्व न केवल आपकी आध्यात्मिक यात्रा को समृद्ध करेगा, बल्कि आपको भारत के एक अनछुए हिस्से की गहरी समझ भी प्रदान करेगा।

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